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समय विभाग चक्र का निर्माण कैसे करेँ?

Posted: Tue Sep 03, 2019 7:42 pm
by admin
विद्यालय के सफल संचालन में स्कूला टाइम टेबल का बहुत महत्व है। एक अच्छे टाइम टेबल के निर्माण से स्कूल के समस्त अध्यापकों को बेहतर शिक्षण का अवसर मिलता है एवम विद्यार्थियों को अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

समय विभाग चक्र के प्रकार-
1. कक्षानुसार समय विभाग चक्र- से यह जानकारी मिलती है किस कक्षा में कौनसे कालांश में कौनसा विषय कौन शिक्षक साथी पढा रहे है। इस विभाग चक्र को पोस्टर साइज़ में बना कर संस्थाप्रधान कक्ष, स्टाफ रुम व सूचना पट्ट पर लगाना चाहिए। एक छोटे साइज़ में संस्थाप्रधान की टेबल पर रखा जाना चाहिए। इसका केंद्र बिंदु कक्षा है।
2. अध्यापकानुसार समय विभाग चक्र- इससे यह जानकारी मिलती है कि कौनसा शिक्षक किस कालांश में किस कक्षा में शिक्षण कार्य कर रहे है अथवा कौनसे कार्य मे व्यस्त है। इस समय विभाग चक्र का केंद्र बिंदु अध्यापक है।
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टाइम टेबल बनाने की प्रक्रिया-
सुसंगत व उपयोगी टाइम टेबल का निर्माण करने हेतु एक संस्था प्रधान को पहले निम्न जानकारियां जुटा लेनी चाहिए।
1. गत सत्र के समय विभाग चक्र की कमियाँ।
2. गत समय विभाग चक्र के सम्बंध में शिक्षकों द्वारा दर्ज आपत्तियां/सुझाव।
3. बोर्ड द्वारा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक के विभिन्न विषयों हेतु आवंटित कालांशो की संख्या।
4. प्राथमिक कक्षाओं हेतु SIQE सम्बन्धित विभागीय निर्देश।
5. संस्थापन सूचना। सामान्य अध्यापकों के स्नातक/अधिस्नातक के विषय।
6. पुस्तकालय/खेलकूद इत्यादि हेतु कालांशो की संख्या।
7. आइसीटी स्कूल होने की स्तिथि में आइसीटी का समय विभाग चक्र।
8. प्रोजेक्ट उत्कर्ष/क्लिक योजना विद्यालय में होने पर उनकी व्यवस्था।
9. शिक्षको को आवंटित विभिन्न प्रवर्तियाँ क्योंकि तदनुसार ही उन्हें कालांशो का वितरण होता है।
10. शिक्षकों हेतु उनके ग्रेड के आधार पर न्यूनतम-अधिकतम दिए जाने वाले कालांशो कि संख्या।
11. स्वयं का शिक्षण विषय।
12. रेडियो प्रसारण सेवा की समय-सारणी।

साप्ताहिक कालांश-व्यवस्था-
1. प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक : 12
2. व्याख्याता : 33(11-12 में लेने के बाद शेष 9-10 में)
3. व. अ. : 36 (9-10 में लेने के बाद शेष 11-12 या 6-8 आवश्यकतानुसार)
4. अध्यापक L2 : 42(6-8 लेने के बाद शेष 9-12 एवं 1-5 आवश्यकतानुसार)
5. अध्यापक L1 : 42(1-5)
6. सह शैक्षिक गतिविधियों का समानुपातिक वितरण।
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विभागीय नियम-
1. विषय अध्यापकों द्वारा यथासंभव सम्बंधित विषय का शिक्षण।
2. एक शिक्षक से दो से अधिक विषयों का शिक्षण नहीं।
3. भाषा शिक्षक को 3, प्रवृत्ति प्रभारी की 3, परीक्षा प्रभारी को 12 कालांश भार माना जाएगा।
4.उच्च कक्षाओं में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के कालांश यथासंभव मध्यांतर पूर्व।
5. एक विषय या एक शिक्षक के कालांश एक कक्षा में लगातार नहीं।
6.प्रयोगशाला/पुस्तकालय/कंप्यूटर कक्ष में एक साथ एक से अधिक कक्षाओं के कालांश नहीं।
7.समय विभाग चक्र की प्रति कार्यालय एवं स्टाफ रूम में चस्पा की जाए।
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