लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की विनोदप्रियता
Posted: Mon Nov 12, 2018 7:39 am
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की विनोदप्रियता
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक धुन के पक्के थे। उनकी एक और विशेषता उनकी विनोदप्रियता थी। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वह मनोविनोद करते हुए समस्या को सुलझा लेते थे।
वह 'केसरी' नाम का मराठी दैनिक अखबार निकालते थे, जिसके तीखे तेवर से अंग्रेज सरकार परेशान रहती थी। वह छोटी-छोटी बात को लेकर उन पर मुकदमा कर देती थी।
एक बार हाईकोर्ट में उन पर एक मुकदमा चल रहा था। तिलक की ओर से एक सीनियर वकील पैरवी कर रहे थे। संयोगवश उस दिन उनको अदालत आने में विलंब हो गया।
जब वह काफी देर तक नहीं आए तो वहां मौजूद एक युवा वकील अपने एक अन्य मित्र वकील को लेकर उनके समीप गया और बोला, 'सर, लगता है आपके वकील साहब को जरूरी काम आ गया है। तभी तो उन्हें आने में देर हो रही है। आप कहें तो हम दोनों उनके स्थान पर आपकी सहायता करने के लिए तैयार हैं।'
तिलक बोले, 'अच्छा तो आप मेरे सीनियर वकील की जगह लेने के लिए बिल्कुल तैयार हैं।' युवा वकील बोला, 'जी सर, आप हमें अवसर तो दीजिए।' तिलक मुस्करा कर बोले, 'मेरे वकील आपसे लगभग दोगुनी उम्र के होंगे।'
युवा वकील बोला, 'कोई बात नहीं सर। हम बहुत अच्छा काम करेंगे।' तिलक ने कहा, 'बीस-बाईस वर्ष की किसी कन्या के लिए वर के स्थान पर क्या दस-बारह वर्ष के दो किशोर चल सकते हैं?' तिलक की बात सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग हंस पड़े।
संक्षेप में -
आशय यह है कि अपनी कार्यक्षमता के अनुसार ही हमें अपना काम करना चाहिए।
वह 'केसरी' नाम का मराठी दैनिक अखबार निकालते थे, जिसके तीखे तेवर से अंग्रेज सरकार परेशान रहती थी। वह छोटी-छोटी बात को लेकर उन पर मुकदमा कर देती थी।
एक बार हाईकोर्ट में उन पर एक मुकदमा चल रहा था। तिलक की ओर से एक सीनियर वकील पैरवी कर रहे थे। संयोगवश उस दिन उनको अदालत आने में विलंब हो गया।
जब वह काफी देर तक नहीं आए तो वहां मौजूद एक युवा वकील अपने एक अन्य मित्र वकील को लेकर उनके समीप गया और बोला, 'सर, लगता है आपके वकील साहब को जरूरी काम आ गया है। तभी तो उन्हें आने में देर हो रही है। आप कहें तो हम दोनों उनके स्थान पर आपकी सहायता करने के लिए तैयार हैं।'
तिलक बोले, 'अच्छा तो आप मेरे सीनियर वकील की जगह लेने के लिए बिल्कुल तैयार हैं।' युवा वकील बोला, 'जी सर, आप हमें अवसर तो दीजिए।' तिलक मुस्करा कर बोले, 'मेरे वकील आपसे लगभग दोगुनी उम्र के होंगे।'
युवा वकील बोला, 'कोई बात नहीं सर। हम बहुत अच्छा काम करेंगे।' तिलक ने कहा, 'बीस-बाईस वर्ष की किसी कन्या के लिए वर के स्थान पर क्या दस-बारह वर्ष के दो किशोर चल सकते हैं?' तिलक की बात सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग हंस पड़े।
संक्षेप में -
आशय यह है कि अपनी कार्यक्षमता के अनुसार ही हमें अपना काम करना चाहिए।