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शाला सिद्धि कार्यक्रम, रूपरेखा और क्रियान्वयन - RajTeachers.Com
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- शाला सिद्धि पोर्टल
- स्कूल मानक एवं मूल्यांकन की रूपरेखा
- शाला सिद्धि - प्रपत्र
- शाला सिद्धि - गाइडलाईन
- शाला सिद्धि पोर्टल पर कक्षा 1 से 5 तक Learning Outcomes की पूर्ति के क्रम में निर्देश (16-02-2017)
- शाला सिद्धि पोर्टल पर विद्यालयोंं की फीडिंग के सबन्ध में दिशा-निर्देश (22-02-2017)
- शाला सिद्धि के सबन्ध में दिशा-निर्देश (09-03-2017)
शाला सिद्धि (Shala siddhi) – हमारी शाला ऐसी हो- कोई नया कार्यक्रम नहीं है अपितु पूर्व वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता के क्षेत्र में किए गए विभिन्न प्रयासों को एकीकृत कर इन्हें सुनियोजित रूप से क्रियान्वयन करने का प्रयास है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु शाला के मूल्यांकन से उन्नयन से तात्पर्य यह है कि शाला का विकास इस प्रकार से हो कि शाला की अकादमिक एवं सह-अकादमिक प्रक्रियाओं से विद्यार्थियों को भयमुक्त एवं आनन्ददायी वातावरण में सीखने के अवसर मिलें और प्रत्येक विद्यार्थी अपनी आयु के अनुरूप निर्धारित दक्षताएँ एवं कौशल अर्जित कर सके।
शाला सिद्धि कार्यक्रम के संवैधानिक और प्रशासनिक आधार
1. भारत के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीतियाँ
2. निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995.
3. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005.
4. निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009.
5. लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012.
6. “एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा तैयार परर्फॉर्मेंस इंडिकेटर्स फॉर टीचर्स (पिंडिक्स), 2013.
7. स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान, 2014 .
शाला सिद्धि कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण
शाला के मूल्यांकन आधारित उन्नयन हेतु, सात आयाम (क्षेत्र) होंगे। इन आयामों में शाला का मूल्यांकन किया जाएगा।
1. प्रत्येक आयाम के लिए चिन्हित मानक (उपक्षेत्र) निर्धारित किए गए हैं। प्रत्येक आयाम में मानकों की संख्या आवश्यकतानुसार अलग-अलग है।
2. निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर, शाला अपना मूल्यांकन इन 7 आयामों में करके अपना वर्तमान स्तर (स्थिति) निर्धारित करेगी।
3. शाला ने किसी आयाम के मानक पर अपने आप को जिस स्तर पर रखा है, उसके लिए उसे उसका प्रमाण/आधार देना होगा।
4. स्व-मूल्यांकन के बाद बाह्य-मूल्यांकन निर्धारित व्यक्ति/एजेंसी द्वारा किया जाएगा और उसके उपरांत ही स्तर-निर्धारण को निश्चित माना जाएगा।
5. शाला अपने स्तर में सुधार के लिए उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक योजना बनाएगी जिसे शाला उन्नयन कार्य-योजना कहा जाएगा।
6. यह योजना शाला प्रमुख, सभी शिक्षक, शाला प्रबन्धन समिति (एसएमसी) के सदस्य और शाला की बाल केबिनेट के सदस्य साथ मिलकर बनाएँगे।
7. शाला की इस कार्य-योजना में वे आयाम एवं उनसे सम्बंधित मानक जिनमें कार्य करने की आवश्यकता है, की प्राथमिकताओं का निर्धारण करते हुए ये कार्य कौन, कैसे, एवं कब तक करेगा इसका विवरण होगा।
8. “उन्नयन हेतु शाला द्वारा किए गए कार्यों एवं उपलब्धियों के प्रमाणीकरण हेतु शालाएँ साक्ष्य प्रस्तुत करेंगी।
9. विभिन्न स्तरों पर अधिकृत अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम की मॉनिटरिंग होगी एव यथा आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाएगा।
10. संकुल/जिला/राज्य स्तर पर समेकित डाटा का उपयोग शाला हित में, योजना निर्माण, प्राथमिकताओं का निर्धारण, अनुवीक्षण और प्रशासकीय निर्णयों के लिए किया जाएगा।
शाला सिद्धि मूल्यांकन के सात आयाम
1. शाला में उपलब्ध संसाधन – उनकी उपलब्धता, पर्याप्तता और उपयोगिता
2. सीखना-सिखाना और आकलन
3. विद्यार्थियों की प्रगति, उपलब्धि और विकास
4. शिक्षकों का कार्य-प्रदर्शन और उनका व्यावसायिक उन्नयन
5. शाला नेतृत्व और शाला प्रबंधन
6. समावेश, स्वास्थ्य और सुरक्षा
7. समुदाय की सहभागिता
शाला सिद्धि में स्व-मूल्यांकन की प्रक्रिया
प्रत्येक आयाम पर शाला द्वारा स्व-मूल्यांकन के लिए छः चरणों की क्रमिक प्रक्रिया
1. विचारणीय प्रश्न (Areas for Thinking)
2. तथ्यात्मक जानकारी (Factual Information)
3. मानक एवं स्तर (Standards and Levels)
4. साक्ष्यों के स्रोत (Sources of Evidence)
5. नवाचार (Innovation)
6.स्व-मूल्यांकन की जाँच-सूची (Checklist)
शाला सिद्धि में बाह्य मूल्यांकन की प्रक्रिया
“हमारी शाला ऐसी हो” कार्यक्रम में बाह्य मूल्यांकन को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य निर्धारित टूल्स के माध्यम से शाला द्वारा किए गए स्व-मूल्यांकन का आकलन कर उसका पुष्टिकरण करना, शाला उन्नयन की कार्य-योजना तैयार करने में मार्गदर्शन देना और बाद में विभागीय अधिकारियों द्वारा शाला का नियमित फालोअप कर शाला की समग्र गुणवत्ता को सुनिश्चित करना है।
बाह्य मूल्यांकन की वर्तमान प्रक्रिया को इस प्रकार से बनाया गया है कि यह वस्तुनिष्ठ रूप से अलग-अलग स्रोतों से साक्ष्य एकत्रित करती है, साक्ष्यों के आधार पर प्रत्येक आयाम को एक समग्र स्कोर देती है, शाला की सामान्य समस्याओं की पहचान करती है एवं शाला को इन समस्याओं के समाधान के लिए शाला उन्नयन की कार्य-योजना बनाने के लिए सहायता करती है।
बाह्य मूल्यांकन के उद्देश्य
1. शाला द्वारा किए गए स्व-मूल्यांकन को पुष्ट करना
2.शाला को शाला उन्नयन योजना बनाने में मार्गदर्शन देना
3. शाला उन्नयन कार्य-योजना के क्रियान्वयन की सतत निगरानी करना
बाह्य मूल्यांकन की प्रक्रिया
बाह्य मूल्यांकन विभिन्न 9 टूल्स पर आधारित है जो शालेय जीवन से संबंधित सभी पहलुओं को विभिन्न दृष्टिकोण के साथ परखता है। स्व मूल्यांकन पूर्ण होने के पश्चात शाला का बाह्य मूल्यांकन किया जाएगा। शाला का बाह्य मूल्यांकन दो मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किया जाना है। बाह्य-मूल्यांकनकर्ताओं के चयन के संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा पृथक से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं
शाला उन्नयन की कार्य-योजना
1. सबसे पहले स्व-मूल्यांकन की प्रक्रिया के आधार पर सभी आयामों के सभी मानकों में शाला अपना वर्तमान स्तर (स्तर-1, स्तर-2, या स्तर-3) का निर्धारण करेगी।
2. इसके बाद बाह्य-मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा शाला का बाह्य मूल्यांकन किया जाएगा और स्तर निर्धारण को अंतिम रूप दिया जाएगा।
3. बाह्य-मूल्यांकनकर्ता द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत कर शाला को कार्य-योजना बनाने के लिए कुछ सुझाव दिए जाएँगे।
4. अंत में शाला प्रमुख सातों आयामों के सभी मानकों पर अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर शाला उन्नयन कार्य-योजना बनाएँगे। इस कार्य में सभी शिक्षकों, एसएमसी के सदस्यों और बाल केबिनेट के सदस्यों की सहायता ली जाएगी।
5. यह कार्य-योजना निर्धारित प्रपत्र पर दो प्रतियों में बनेगी। इसकी एक प्रति शाला में सुरक्षित रखी जाएगी और दूसरी जनशिक्षा केंद्र पर। कार्य-योजना को पोर्टल पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।
शाला सिद्धि मॉनिटरिंग एवं फॉलोअप
1. कार्यक्रम के क्रियान्वयन को प्रभावी और परिणाम मूलक बनाने की दृष्टि से इस कार्यक्रम की मॉनिटरिंग की सुदृढ़ व्यवस्था की गई है।
2. कार्यक्रम की मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदार कार्यदल में राज्य स्तर से लेकर जनशिक्षा केन्द्र स्तर तक के सभी प्रशासकीय, प्रबंधकीय एवं अकादमिक व्यक्तियों को शामिल कर उत्तरदायी भूमिका सौंपी गयी है।
3. इनके द्वारा कार्यक्रम के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्यक्रम की नियमित एवं निरंतर समीक्षा की जाएगी।
4. समीक्षा में उभरे सभी मुद्दों के आधार पर सबसे पहले शाला स्तर पर इसके बाद क्रमश: जनशिक्षा केन्द्र, संकुल, विकासखण्ड (जनपद), जिला, संभाग तथा राज्य स्तर पर समीक्षा एवं कार्रवाई की जाएगी।
5. कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य शाला के क्रियाकलापों में सकारात्मक बदलाव लाना है अत: शाला द्वारा प्रस्तावित कार्रवाई के लिए सभी स्तरों से सहयोग अपेक्षित है।